डॉ. मेहता नगेन्द्र
हरित गजल
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शजर को तुम बचाती हो बड़ी अच्छी कवायद है
शहर को तुम सजाती हो बड़ी अच्छी कवायद है।।
शजर की शाख़ पे बैठी बुढ़ापे में जवानी का
फ़साना तुम सुनाती हो बड़ी अच्छी कवायद है।।
यहाँ की हर मुसीबत में हमारा ख़्याल रखती हो
निबाला तुम खिलाती हो बड़ी अच्छी कवायद है।।
शजर की ओट से छिपके निशाचर को भगाने का
निशाना तुम बनाती हो बड़ी अच्छी कवायद है।।
हवाओं को सही करके प्रदूषण को मिटा करके
शहर को तुम जिलाती हो बड़ी अच्छी कवायद है।।
इसी से मान भी तेरा हमेशा से जहाँ में है
फ़िज़ाओं को लुभाती हो बड़ी अच्छी कवायद है।।
सदाओं को सलामी दें हमारा फ़र्ज बनता है
फ़र्ज तुम भी निभाती हो बड़ी अच्छी कवायद है।।
सभी के साथ मिलके ‘मेहता’ जी काम करता है
इन्हें भी तुम सुहाती हो बड़ी अच्छी कवायद है।।