– नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर
कविता
आज़ादी अमृत महोत्सव
भारत की आज़ादी का
इतिहास लिखूंगा।।
जन गण मन वंदे मातरम गान लिखूंगा।।
मर्यादा का राम, कृष्णा का
गीता ज्ञान, कुरुक्षेत्र संग्राम लिखूंगा।
अन्याय अत्याचार का काल परशुराम
लिखूंगा।।
चाणक्य चंद्र गुप्त भारत बृहद का मान
लिखूंगा।।
गद्दारी बीमारी महामारी मीर जाफर जयचंद काल का पृथ्वी राज चौहान लिखूंगा।।
राणा सांगा के अस्सी घाव मेवाड़ मुकुट प्रताप लिखूंगा।।
जय भवानी जगदम्ब शिवा मराठा
छत्रप मान लिखूंगा।।
गुरुओं की कुर्बानी पंजाब पंजावियत परम्परा सांस्कार लिखूंगा ।।
आजादी की चिंगारी ज्वाला मंगल
पांडेय पुरुषार्थ लिखूंगा।।
खूब लड़ी मर्दानी झांसी की रानी
वीरांगना का युद्ध शौर्य अभिनंन्दन अरमान लिखूंगा।
लोक मान्य का शंखनाद स्वतंत्रता
जन्म सिद्ध अधिकार लिखूंगा ।।
सत्य अहिंसा का गांधी गोरों पर
शांत प्रहार लिखूंगा।।
खून और आज़ादी का आवाहन नेता
सुभाष लिखूंगा।।
खुदीराम, लाला लाजपत राय, भगत
असफाक, विस्मिल, रोशन, लाड़िली
राजेन्द्र, चंद्रशेखर, आजाद लिखूंगा ।।
आजादी के त्याग बलिदानों की
काकोरी,चौरी चौरा,डायर की बर्बरता
का जालियांवाला बाग लिखूंगा।।
खंड खंड में बंटे रियासत एकात्म
भारत शिल्पी बल्लभ सरदार लिखूंगा ।।
आसमानो के आसमान लहराता तिरंगा आजादी का मुस्कान लिखूंगा।।
आजादी का मतलब महत्व का
वर्तमान लिखूंगा।।
धर्म नाम पर जिन्ना जिद का
नापाक इरादों का पाकिस्तान
लिखूंगा।।
स्वीकार नही भारत की वैभव
शक्ति छद्म धर्म निरपेक्षता नाम
पर छुपे आस्तीन के स्वान गद्दार
लिखूंगा ।।
ड्रेगन की शरारत दहसत खौफ
विस्तार का धोखे का डोकलाम
लिखूंगा।।
आज़ाद भारत के जन जन को आवाहन जीवेत जाग्रत का शंख
नाद लिखूंगा।।
एक राष्ट्र दो विधान से मुक्त
भारत एक राष्ट्र एक विधान का
संकल्प अतीत की भूलों का सुधार
नर नरेंद्र का पुरुषार्थ लिखूंगा।।
– गोरखपुर उत्तर प्रदेश