- नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’
( जिन लेखक मित्रों को मगही, राजस्थानी, पंजाबी, और बांग्ला भाषा आती हैं कृपया वह इस कविता का अनुवाद करें हम आपके विशेष आभारी रहेंगे )
कृपया मेल करें – [email protected]
कविता
मुश्किल है ये घड़ी
थाम लो आशा की एक नई छड़ी …
यह दिन भी बीत जाएगा
रात सुहानी आएगी
मीठी नींद लाएगी
मुश्किल है ये घड़ी
थाम लो आशा की एक नई छड़ी …
दिल में आत्म बल जगाना है
इस महामारी को दिल से नहीं लगाना है
मन में विश्वास जगाना है
मुश्किल है ये घड़ी
थाम लो आशा की एक नई छड़ी
आशा और विश्वास से जीवन को आगे बढ़ाना है
दूसरों की मदद के लिए
अपना हाथ आगे बढ़ाना है इंसानी फर्ज निभाना है
प्रेम और भाईचारे से यह जंग जीत जाना है
मुश्किल है ये घड़ी
थाम लो आशा की एक नई छड़ी.