– लक्ष्मीनारायण प्रधान ‘लक्खु’
गुरू गुड़ शक्कर चेला होता है
कभी तो भगवान भी अकेला होता है
खुदा इंसा के लिए पिता होता है
बेटे से पिता कभी खपा होता है
कैसे कहूँ जिसके दिल में
दर्द का अहसास होता है
वो इंसा होता है
नियम, कानून में बंधा भगवान होता है
अक्सर अच्छे लोगों के साथ
बुरा क्यों होता है
अच्छा होना पहाड़ की तरह
बुरा होना ढलान की तरह
क्यों होता है
आदमी का दिल बर्फ होता है
वो दर्द के ताप से पिघल जाता है
कुदरत, विधि का कानून
कठोर क्यों होता है
भगवान तो इंसा के लिए पिता होता है
बेटे से पिता कभी खपा होता है
कैसे कहूँ जिसके दिल में
दर्द का अहसास होता है
वो इंसा होता है
नियम कानून म़े बंधा भगवान होता है।