– अरुण निशंक
वो अपने बदन की खुशबू से,
जिस्म को मेरे सरोबार नहीं करते,
क्यों इसे दोस्ती कहूं, बेवफाई न कहूं?
साफ है वो मुझसे प्यार नहीं करते।
मेरी वफ़ा की जरा भी कद्र होती तो,
वो मेरी आँखों को अश्कबार नहीं करते।
अगर मुझे गले लगाना ही नहीं है तो,
फिर वो मुझे क्यों दरकिनार नहीं करते…?