– राजपाल सिंह गुलिया
दोहे
1.
मेरा भी कुछ दीन है, है मेरी भी जात !
सच कैसे मैं मान लूँ, तेरी झूठी बात !!
2.
लोकतंत्र के पर्व में, इतना रखना ध्यान !
सौ कामों को छोड़कर, कर देना मतदान !!
3.
बिल्ली अब भागी फिरे, नहीं छुपन की ठाँव !
सिखा दिए हैं शेर को, गलती से सब दाँव !!
4.
कठपुतली हैं हम सभी, रंग मंच संसार !
लौटें सब नेपथ्य में, कर पूरा किरदार !!
5.
कहे शेर सुन शेरनी, चलो भेड़ सी चाल !
गले यहाँ बस चाल से, सदा चुनावी दाल !!
6.
एक कमी है आप में, मत होना नाराज !
कह कर अपनी बात की, रखते नाहीं लाज !!
7.
जब से दिल की आ गई, मति के हाथ कमान !
फैंक दिए कद से बड़े, थे जितने अरमान !!
8.
सच को सहना सीख लो, ठीक नहीं है रोष !
अपना यारो कब किसे, दिया दिखाई दोष !!
9.
मिलते हैं अब जेल में, सुख सुविधा के ढेर !
भोग रहे आराम से, कातिल धनी दिलेर !!
10.
कर देते हो फैसला, बिन ही तहक़ीक़ात !
जान गए अब आप भी, पैसे की औक़ात !!