गीत
-कवि सुनेश्वर प्रसाद निर्भय
कहिया ले सहिहें बेटी, अपना अपमान के ।
मारतारऽ जान काहे, बेटी तुहू जान के।।
बेटा जनमावला में, कवन तहरा सुख बा ।
जन्म लिहली बेटी तब, बताव कवन हुक बा ।।
डर नाइखे लागत तहरा, तनिको इमान के ।
मारतारऽ जान काहे, बेटी तुहू जान के ।।
बेटी रहली सीता, बेटी रहली बीबीफतमा।
बेटिये नू बहू बनके, अरजली महात्मा ।।
बेटिया से बेटा आज, बोलेलऽ सीना तान के ।
मारतारऽ जान काहे, बेटी तुहू जान के।।
निर्भय निहोरा तोहसे, करेलें विनतिया ।
भ्रुनहत्या कके नाहीं, करेलऽ गिनतियां।।
भूमिका निभाव आज, सच्चा इंसान के ।
मारतारऽ जान काहे, बेटी तुहू जान के।।
– गांव- गम्हरिया, थाना- इसुआपुर
जीला- सारण बिहार,
मोबाइल- 8002330458
Bhut khub