– लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
अवरोध मिलेंगे राहों में, पर हमें न उनसे डरना है,
सूझ-बूझ कर हिम्मत से, हम को आगे बढ़ना है।
यदि हम हिम्मत हार गए, तो कभी न होगी जीत,
वो वार करें हम पर, पत्थर-सा टिक कर रहना है।।
कोई हो बहुत बलशाली, अन्नाय हमें नहीं सहना है,
तन से न हो सके, शब्दों से हमें प्रतिरोध करना है।
जो कलम में होती शक्ति, तलवार में कभी न होती,
खत्म हो चुकी तानाशाही, हमें नहीं अब झुकना है।।
हम जुगनू नहीं प्रकाश पुंज हैं, अंधेरों से लड़ना है,
ताल के नीर जैसे न रुके, सागर सा हमें बहना है।
हम गिर कर सौ बार उठेंगे, फिर भी हार न मानेंगे,
लहरों से भी भिड़ कर, किनारों पर हमें पहुँचना है।।
हमें बनावटीपन पसंद नहीं, जैसे हूँ, वैसे दिखना है,
झूठ का हीरा नहीं स्वीकार, सत्य पर हमें चलना है।
आत्मसम्मान की सूखी रोटी भी, हमें व्यंजन लगे,
संघर्षों में तप कर ही, ये जीवन हमारा महकना है।।
मानवता की राह पर, हमें सदैव ही चलते रहना है,
दूजों की उपदेश के पहले, हमें उस पर निखरना है।
महापुरुष जो कहते, पहले खुद करके दिखलाते थे,
अच्छा करने की जिद से, हमारा जीवन महकना है।।
बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति