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महेन्द्र “अटकलपच्चू”
जब भी अकेला होता हूं
अजीब सा ख्याल
आता है मन में
न जाने क्यों
ऐसा लगता है
कि
सच बोलने का डर
सब में समाया है।
क्षमा मांगने पर भी
लोग बुरा मान जाते हैं
स्वीकार लो अपनी गलती
तो भी रूठ जाते हैं।
गलती न होने पर भी
सवाल उठाते हैं
गलती स्वीकार करने वाला
क्षमा मांगने वाला
अलग-थलग सा हो जाता है।
बड़ा अजीब सा महसूस
होता है
कभी-कभी रोना आ जाता है
सच बोलने का डर
सब में समाया होता है।
- मो. +918858899720