– मिंटू झा
झूठा यह संसार बहुत हैं।
फिर भी इससे प्यार बहुत है
सब दौलत के पीछे भागे,
सबको ही दरकार बहुत है।
खबर इशारों पर छपती है,
अब ऐसे अखबार बहुत हैं।
मुखड़ो पर है लगे मुखौटा,
मानव के किरदार बहुत हैं।
जूठन भी खा लेते लोग,
जहां भूख या प्यास बहुत है।
उस रिश्ते से कैसा रिश्ता,
जिसमें बुरे विचार बहुत हैं।