– विशाल लोधी
है प्रेम यह कह नहीं पाते,
तुम्हारे विन अब रह नहीं पाते।
प्रेम शब्द से ही,
मन में सौंदर्य निखार रहा।
तन में यह बिखर रहा,
नदियों की तरह वह रहा।
मन हर्षित होय तब,
पिया मिलन की आस होय जब।
शीत ने छुआ तन को,
मन की अग्न बुझाने को।
श्याम तन,भर बॅंधा,
यौवन आने को।
प्रेम है जिके रग-रग में,
कहां वो घृणा लायेगा।
प्रेम ही जिसकी सत्यता,
प्रेम ही उसकी सभ्यता।
प्रेम ही जिसका रिश्ता,
जग में नहिं ये सस्ता।
आत्मा में ही आनंद की
प्राप्ति प्रेम है।
आत्म साक्षात्कार युक्त प्रेम है,
जो पूर्णतया उसमें ही
सन्तुष्ट रहता प्रेम है।
आस्क्ति,भय,क्रोध से
मुक्त है प्रेम,
शुद्ध,मन, आनन्द की
अनुभूति है प्रेम।
पुरुष, स्त्री, प्राणियों, प्रकृति,
सुखों व दुखों की
समानता है प्रेम।
नफ़रत, बुराई, घृणा,मोह,
माया से मुक्त है प्रेम।
- ग्राम मगरधा पोस्ट आफिस सूखा
तहसील पथरिया 470666
जिला दमोह मध्यप्रदेश (भारत)
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