– डा. जियाउर रहमान जाफरी
जब भी सुनती है कुछ खबर अम्मी
कितनी रोती है रात भर अम्मी
सारा घर ही उदास लगता है
घर पे होती नहीं अगर अम्मी
मसअले कितने घर में आते हैं
जिसको करती है दर गुज़र अम्मी
सबसे पहले वो जाग जाती है
साफ करने को सारा घर अम्मी
जब भी आया हो कोई बाहर से
पहले आती है दौड़ कर अम्मी
घर के बच्चे दुखा भी दें दिल तो
हंसती रहती है सोचकर अम्मी
सारे बेटों का अपना कमरा है
छोड़ आई है अपना दर अम्मी
उनके बिस्तर पर जो दवाई है
अब न खाती है सोचकर अम्मी
जाने आएंगी मुझसे कब मिलने
कब से बैठी हैं चांद पर अम्मी
- असिस्टेंट प्रोफेसर
स्नातकोत्तर हिंदी विभाग
मिर्जा गालिब कॉलेज गया बिहार
9934847941