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नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’
सभी लड़कियां मैट्रिक की परीक्षा का अपना – अपना प्रवेश पत्र लेने स्कूल जा रही थीं। सब बहुत खुश थीं । परीक्षा सेंटर पटना के एक कालेज में पड़ा था। दो – तीन लड़कियां पायल को पकड़ कर स्कूल लाई ताकि वह भी अपना प्रवेश पत्र ले सके । पर पायल अपना प्रवेश पत्र नहीं ले रही थी। लड़कियों ने इसकी शिकायत प्राधानाचार्या से कर दी। उन्होंने पायल को अपने केबिन में बुला कर पूछा, “क्यों पायल, तुम अपना परीक्षा प्रवेश पत्र क्यों नहीं ले रही हो ?”
“मैडम, मैं परीक्षा नहीं दूंगी…”
“क्या कहा … तुम परीक्षा नही दोगी, पर क्यो ? कितनी इच्छी जगह सेंटर पड़ा है। तुम अपना भविष्य चौपट करना चाहती हो ।” मैडम ने उसकी बात काट कर थोड़े गुस्से से कहा।
“मैडम, जिस दिन पटना में मेरी परीक्षा शुरू हो रही है उसी दिन पटना के अस्पताल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन होने वाला है। मेरी मम्मी की एक आंख में मोतियाबिंद पक गया है। अगर ऑपरेशन नहीं हुआ तो …” कहते – कहते पायल की आंख भर आई।
“पर पायल, तुम्हारे घर में और भी तो लोग होंगे । वे तुम्हारी मम्मी के संग चले जाएंगे ।”
“मैडम, मेरे पापा नहीं है । और भाभी भैया को नौकरी पर से आने नहीं दे रही हैं। मेरा तो सिर्फ एक साल बर्बाद होगा, पर मम्मी का ऑपरेशन नहीं हुआ तो उनकी एक आंख सदा के लिए चली जाएगी। प्लीज, आप मुझ पर परीक्षा देने के लिए दबाव मत डालिए ।” कह कर पायल केबिन से बाहर चली गई।
मैडम पायल को जाते हुए देखती रह गईं और उनकी आंखों में कुछ तैरने लगा।