– पुष्प रंजन
परिणाम युद्ध का इल्म नहीं है,
जय – पराजय किसकी होगी ।
पर,निश्चित है बेटियां बेवा होंगी,
कुछ तेरी होंगी, कुछ मेरी होंगी ।
हथियारों का मान बनेगा,
मांग बढ़ेगी, आकाश छूएगी ।
पर,बोटियां जमीं पर बिखरी होंगी,
कुछ तेरी होंगी, कुछ मेरी होंगी ।
हवा अपनी जीवत्व खोएगी,
पानी अपना पनित्व खो देगा ।
और लाल लहू से सनी मिट्टी,
थोड़ी तेरी होगी, थोड़ी मेरी होगी।