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नरेंद्र कौर छाबड़ा
मनोज बड़ी आईटी कंपनी में बड़े ओहदे पर कार्यरत है। दूसरे शहर में रह रहे माता-पिता जब भी उसे फोन लगाकर बात करना शुरू करते दो मिनट बाद ही वह कहता, “मम्मी, दूसरी कॉल आ रही है, बाद में बात करता हूं।“
एक दिन जब मम्मी ने कहा मुझसे बात करने के लिए तुम्हारे पास समय ही नहीं है इतने व्यस्त रहते हो। तो वह बोला, “मम्मी, कंपनी मुझे पैसे देती है जिससे घर चलता है, जीवन चलता है । उनके फोन के लिए तो मुझे समय निकालना ही पड़ेगा ना! क्लाइंट को तो अटेंड करना ही पड़ेगा ना!”
अगली बार मम्मी ने फोन लगाया और बोली, “बेटा, सुन, तेरी तनख्वाह के हिसाब से आधे घंटे के जितने पैसे बनते हैं मैंने तेरे अकाउंट में डाल दिए हैं। अब आधा घंटा तो तुम्हें मुझे देना ही पड़ेगा…“