– कौशल मुहब्बतपुरी
युद्ध कभी
जीवन नहीं देता
मंजिल नही देता
रास्ता नहीं देता
भोजन नहीं देता।
युद्ध देता है
हर सपने को मौत
नीरवता में चीख
आँखों मेंआँसू
धरा पर विध्वंस।
युद्ध तो
मनुष्य की मनोवृत्ति है।
उसमें छिपी
पशुता की प्रवृत्ति है।
युद्ध तो
वह खुद से कर सकता है।
अपने अंदर के
पशु से लड़ सकता है।