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– डॉ.मेहता नगेन्द्र

सम्भ्रांत किसान राघव पटेल के घर शहरी सुकन्या रागिनी नववधू के रुप में आई। रहन-सहन की कस्वाई प्रचलन को समझने में रागिनी को थोड़ी दिक्कत हो रही थी।

कारण सासू मां का दकियानूसी होना।

एक दिन सासू मां रागिनी से बोली-“बहू, यह तुम्हारी मायका नहीं, ससुराल है। क्या पहनना है, क्या बोलना है, किससे बोलना है, क्या बोलना है, उस पर ध्यान रखना। पड़ोसी औरतें तुमसे ख़ुश नहीं दिखती।”

इस पर रागिनी भी मुस्कुराती हुई बोली-“मां जी, यह घर आपका भी ससुराल है।”

सासू मां तुनक कर बोली -“हां, हां ठीक है, मगर यह नसीहत तुम्हारे लिए है।”

आधुनिकता चुपचाप मुस्कुराती नजर आई।

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