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– महेन्द्र “अटकलपच्चू”

राजन सागर विश्वविद्यालय में बीए की पढ़ाई कर रहा था। हॉस्टल में रहता था। एक दिन वह हॉस्टल से बाजार जा रहा था। भरी दुपहरी थी। सूरज आग उगल रहा था। ऐसा लग रहा था मानों आज तो प्राण ही सूख जायेंगे। चारों तरफ एक सन्नाटा सा फैला हुआ था। वह किसी सोच में खोया हुआ चला जा रहा था।

जैसे ही बच्चों वाले अस्पताल के पास पहुंचा, एक बूढ़ी दादी की करुण आवाज उसके कानों में पड़ी, “बेटा! मुझे सात रुपए दे दो। मुझे अपने घर जाना है। मेरे घर तक का किराया सात रुपए ही लगता है।”

राजन रुक कर सोचने लगा कि यह कोई भिखारिन नहीं हो सकती, क्योंकि यह तो मुझसे केवल सात रूपये ही मांग रही है। उसने पूछा, “तुम यहां क्यों आईं हो?”

वह बोली, “बेटा, मेरी बहू अस्पताल में भर्ती है और घर में एक छोटा नाती अकेला है। उसके पास जाना होगा।”

उसने पूछा, “और यहां बहू के पास कौन है?”

वह बोली, “बहू, तो अस्पताल में है उसके साथ  और मरीज हैं, पर घर में नाती अकेला है। उसके पास जल्दी जाना पड़ेगा। उसे रोटी भी बनाकर खिलानी है। बेटा, सात रूपये दे दो। अभी-अभी एक भिखारी मेरे हाथ से बीस रुपए का नोट झपट कर भाग गया। आखरी बस आने वाली है। घर पहुंच जाऊंगी।”

राजन असमंजस में पड़ गया। उसकी जेब में दस-दस के दो ही नोट थे। वह बाजार खाना खाने जा रहा था। हॉस्टल का कुक बीमार पड़ गया था और वार्डन सर ने सभी को बाजार का रास्ता दिखा दिया था। राजन को भूख भी बहुत जोर की लगी थी।

बस आ गई। दादी ने कातर नजरों से उसे देखा। उसने झट-पट दादी का हाथ पकड़ बस में बैठाया और दस का एक नोट उनके हाथ में थमा दिया। दादी कुछ कहती कि बस चल पड़ी और वह दस का एक नोट लिए बगल के खीरा ढेले पर चला गया।

-ललितपुर (उ. प्र.)

मो. 918858899720

3 thoughts on “मदद”
  1. Ati sundar…hryday ko sparsh karta anubhav.
    Aisii saadki ke jeevan mein Anand aur khushi milti hai.
    Prabhu aapko Ashish dein.

  2. I’m excellent at financial planning, and giving advice about weather to buy certain items or cut back. how can i start a website giving out this advice?.

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