प्रेम फुहार
– राजीव कुमार रात तो जैसे-तैसे करके गुजार ली उसने, कपड़े गीले और बिस्तर गीला। सीमा ने…
धरती के भगवान या शैतान
– केदारनाथ सविता ऐसा कहा जाता है कि जिसका जो नाम रखा जाता है उसके अंदर वैसा ही गुण…
– गोविन्द भारद्वाज रोजाना की तरह पुरानी चुंगी पर मजदूरों की भीड़ जमा थी। एक साहब दो-चार मजदूरों को दिहाड़ी…
– राजीव कुमार रात तो जैसे-तैसे करके गुजार ली उसने, कपड़े गीले और बिस्तर गीला। सीमा ने…
– केदारनाथ सविता ऐसा कहा जाता है कि जिसका जो नाम रखा जाता है उसके अंदर वैसा ही गुण…
– गोविन्द भारद्वाज डाॅलर के मुकाबले में रूपये की गिरावट की ख़बर पढ़कर हरिप्रसाद जी बोले,”सुनों जी, आज फिर…
– राजीव कुमार अभिनय दरवाजे के पास आकर मंजरी से बोला, “अगर आप मेरी मम्मी नहीं बनिएगा तो मैं…
माला वर्मा रोजाना दोपहर को रोटी बनाते हुए एक रोटी मैं घर के सामने छत पर डाल देती हूँ।…
– गोविन्द भारद्वाज “अरी बहू, देखो घर में जगह-जगह चींटियाँ निकल रही हैं… ज़रा इनके बिलों पर थोड़ा-थोड़ा…
– नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’ ट्रेन में बैठे पिता के पुराने मोबाइल में सिम चेंज करने के लिए बेटा बड़ी…
– नरेंद्र कौर छाबड़ा गूंगी और बहरी, आकर्षक युवती कुछ दिनों से मंदिर में आ रही थी। उसके…
अलका मित्तल “महेश, मैं सोचता हूँ क्यूँ न हम अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दें।” समीर ने महेश…
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