हीरा ना मोर बिकाला रे मितवा
– विद्या शंकर विद्यार्थी भजन हीरा ना मोर बिकाला रे मितवा, लाद दुनिया के काला रे मितवा …
– विद्या शंकर विद्यार्थी भजन हीरा ना मोर बिकाला रे मितवा, लाद दुनिया के काला रे मितवा …
– विद्या शंकर विद्यार्थी पढ़ल लइका रोटी खातिर मारल मारल फिरेला साहेब के सलाम बजा के गोड़ धर के…
– विद्या शंकर विद्यार्थी जब थाक जाला सफर के मुसाफिर, सड़क के किनारे छँहाये लागेला, सफर के चढ़ाई सफर के…
-विद्या शंकर विद्यार्थी गजल साथ कब छोड़ दी हवा पगली आँख कब मोड़ दी हवा पगली जिंदगी जीए…
– सुनेश्वर प्रसाद निर्भय कविता अबकी राउरे मुखिया बनीं साम सबेरे रातों दिनों बनल रही आमदनी । अबकी…
– विद्या शंकर विद्यार्थी गजल जार के घर खबर लिहल जाला मार के धर खबर लिहल जाला आदमी लख…
– नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’ अंग्रेजन के धूर चटा देनीं रणबांकुरा बाबू वीर कुंवर सिंह राउर है जय हो…
– विद्या शंकर विद्यार्थी खास आ पराया में समझ नइखे आवत केकरा के आपन कहीं नइखे समझावत फुलवो के…
– विद्या शंकर विद्यार्थी मुक्तक 1. तोहार चान का करी भूख के जमीन पर आदमी दिन रात खटs…
– कवि सुनेश्वर प्रसाद निर्भय कम्प्यूटर के ज़माना में अइसन समय आइल बा । जेकरा…
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