हंसती आंखों के आंसू (हिन्दी ग़ज़ल )
शायर -डॉ.हाज़िक फरीद
प्रकाशन वर्ष -2022
मूल्य -199
पृष्ठ-128
प्रकाशक- अनुप्रास प्रकाशन, मधुबनी
समीक्षक – डॉ.जियाउर रहमान जाफरी
हिंदी कविता में गजल की विधा पाठकों को हमेशा से ही मुतासिर करती रही है. गजल वो छंदबद्ध विधा है, जो आपके दिल पर दस्तक देती है, और उससे आपका स्वाभाविक रूप से जुड़ाव हो जाता है. हंसती आंखों के आंसू डॉ. हाज़िक फरीद का हिंदी गजल के रूप में पहली किताब है, इसके पहले वह उर्दू में बाज़ाब्ता कई किताबें लिख चुके हैं, और पर्याप्त प्रसिद्धि भी हासिल कर ली है. डॉ.हाज़िक
फरीद उर्दू के प्रोफ़ेसर हैं, इसलिए हिंदी गजल में उनकी आजमाइश को हिंदी ग़ज़ल की बढ़ती लोकप्रियता से भी जोड़कर देखा जा रहा है. यह संकलन मूल रूप से हिंदी ग़ज़ल का है, यह अलग बात है कि किताब के अंत में उन्होंने कुछ क़तआ कुछ रुबाई और कुछ शेर भी उद्धृत कर दिए हैं. असल में इन सभी की शैली भी कहीं न कहीं गजल से मिलती जुलती है. हाज़िक फरीद विश्वास, उम्मीद, मोहब्बत, और हुब्बे वतन के शायर हैं. उनके इस संकलन के तमाम शेर हर हाल में इंसानी भाईचारगी की वकालत करते हैं. वह यह बात मानकर चलते हैं कि मोहब्बतों की कोई सरहद नहीं होती, मोहब्बतों का कोई मजहब नहीं होता और मोहब्बत मनुष्य होने के नाते उसके सबसे बड़े तकाज़े हैं. इस संकलन के कुछ शेर देखे जा सकते हैं-
दुश्मनी हद से बढ़ी सबको बताने निकले
आग नफरत की मोहब्बत से बुझाने निकले( पृष्ठ52)
जो मेरी जान का दुश्मन था वह भी हार गया
हमारे हिस्से में कुछ दोस्तों का प्यार गया
उनके कई शेर ऐसे हैं जिनमें उनका बचपन बोलता है. उदाहरण के लिए यह एक शेर देखा जा सकता है-
मैं दरिया हूं मुझे क़तरा बना दे
जवानी छीन ले बच्चा बना दे
इस किताब को अनुप्रास प्रकाशन ने पूरी लगन,पूरी ईमानदारी और पूरी जवाबदेही से छापा है,इसलिए जहां इसकी ग़ज़लें अच्छी हैं , वहां इसका आवरण और साज-सज्जा भी हमें आकर्षित करता है. उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले दिनों में जब हिंदी ग़ज़ल की बात की जाएगी तो इस किताब को भी मुताले के तौर पर रखा जाएगा.
- स्नातकोत्तर हिंदी विभाग
मिर्जा गालिब कॉलेज गया बिहार
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