कुदरत के रंग
– मनिन्दर कौर कुदरत रंग तेरे न्यारे हैं| कहीं धूप है, कहीं छांव है, कहीं बरसते बादल प्यारे हैं|…
– मनिन्दर कौर कुदरत रंग तेरे न्यारे हैं| कहीं धूप है, कहीं छांव है, कहीं बरसते बादल प्यारे हैं|…
- राजीव कुमार देश रक्षा को मिला ये जीवन व्यर्थ न इसको जाने देंगे मर मिटेंगे देश की खातिर आँच…
– मुहम्मद आसिफ अली बहर – 1222 1222 1222 1222 अगर है प्यार मुझसे तो बताना भी…
देश की आज़ादी में अनेक नारे गूंजे जिसमें ” भारत छोड़ों ” की गूंज गहरी थी और अंग्रेज…
– विद्या शंकर विद्यार्थी "आओ खेलने चेतन, बहुत दिन बाद आये हो, गाँव ।" चेतन के साथियों…
🔷 परिचर्चा ♦️ प्रस्तुति : सिद्धेश्वर 🌀 हिंदी ग़ज़ल की लोकप्रियता और समकालीन कविता 🌀 उर्दू गजल यानी परंपरागत…
– अंकुर सिंह हरिप्रसाद और रामप्रसाद दोनों सगे भाई थे। उम्र के आखिरी पड़ाव तक…
– विद्या शंकर विद्यार्थी आरे रामा धंधकत बा दिन दुपहरिया, सवनवा तनवा जारे ना सूना अकसवा से बदरा पराइल रामा…
सिद्धेश्वर की दो नज्में ❤ शोर करती है ये आंखें और जुबाँ रहती है बंद । इश्क-ए…
ऋचा वर्मा अनुभव को स्टैंड तक छोड़ने का काम विनय भी कर सकता था, परंतु उसी बहाने घर की किच-किच…
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