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सकारात्मक सोच को एक नई दिशा देती है अंजू अग्रवाल की लघुकथाएं ! : सिद्धेश्वर!
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लघुकथा लघु होती है किंतु लघुकथा का सृजन कठिन : प्रो.शरद नारायण खरे
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पटना :22/08/2022! ” लघुकथा में एक ओर व्यक्ति और समाज के द्वंद की अभिव्यक्ति रहती है तो दूसरी तरफ अतीत और वर्तमान के संघर्ष की अनुगूंज भी दिखलाई पड़ती है! दरअसल साहित्य की गद्य विधाओं में लघुकथा ही एक ऐसी विधा है जो कम शब्दों में व्यापक प्रभाव डालती है l मानव मूल्यों की संकल्पना को तराशने का सकारात्मक सृजन है लघुकथा l ”
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में फेसबुक के अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के पेज पर ऑनलाइन आयोजित हेलो फेसबुक लघुकथा सम्मेलन का संचालन करते हुए संस्था के अध्यक्ष सिद्धेश्वर ने उपरोक्त उद्गार व्यक्त किया! लघुकथा सम्मेलन के प्रथम सत्र में राजस्थान की चर्चित लेखिका अंजू अग्रवाल ने अपनी एक दर्जन लघुकथाओं का पाठ किया! अंजू अग्रवाल की लघुकथाओं पर समीक्षात्मक टिप्पणी देते हुए सिद्धेश्वर ने कहा कि अंजू अग्रवाल की एकल लघुकथा पाठ में उनकी कई सशक्त लघुकथाओं को सुनकर अभिभूत हूं मैं,जिनकी लघुकथाओं में सकारात्मक सोच को एक नई दिशा और एक नई विचारधारा देने का प्रयास किया गया है l अंजू अग्रवाल की लघुकथा ‘चोर’ में उस विराट मानवीय सद्भावना की तस्वीर उजागर होती है जो अभाव से ग्रस्त एक गरीब के हृदय में मलिन विचार को भी अनुशासित व्यवहार में बदल देती है l अंजू अग्रवाल की लघुकथाएं एक नई दिशा देती है l
अपने अध्यक्षीय टिप्पणी में डॉ शरद नारायण खरे ( म. प्र.) ने कहा कि इस लघुकथा सम्मेलन में पढ़ी गई दो दर्जन लघुकथाओं में व्यंग्यात्मक एवं गहन चिंतन का दर्शन होता है l लघुकथा कहने को लघु होती है किंतु लघुकथा का सृजन कठिन है l कविता की तरह लघुकथा को भी सपाटबयानी से बचनी चाहिए, तभी वह अधिक पठनीय बन पड़ेगी l
विजय कुमारी मौर्य विजय ने – गरीबी / मधुरेश नारायण ने – आग्रह / नरेंद्र कौर छाबड़ा ( महाराष्ट्र ) ने – लड़का लड़की / रूबी भूषण ने -धरोहर / अपूर्व कुमार ने – हिंदी दिवस / निर्मल कुमार दे ने – प्रीतिभोज / पुष्प रंजन ने – समझा क्या है?/ ऋचा वर्मा ने -नास्तिक /अलका वर्मा ने -गैरत /सपना चंद्रा ने – फैसला / रशीद गौरी ने – कोई और / रेखा भारती मिश्रा ने – संस्कृति से जुड़ाव / सीमा रानी ने – शुकून /मीना कुमारी परिहार ने कंगाली में आटा गीला / राज प्रिया रानी ने अपना देश / डॉ नीलू अग्रवाल ने हीरा / वंदना भंसाली ने राखी / डॉ शरद नारायण खरे ने समझदारी / गोविंद भारद्वाज ने -अपने हिस्से की लघुकथा का पाठ किया, जिन पर देश भर के दर्शकों द्वारा ढेर सारी प्रशंसा मिली l
इन लघुकथाओं के अतिरिक्त मुंशी प्रेमचंद की लघुकथा” देवी ” को प्रस्तुत किया आलोक मिश्रा ने, भगवती प्रसाद द्विवेदी की लघुकथा “वीआईपी ” पर बनी लघु फिल्म को अनिल पतंग ने और सिद्धेश्वर की लघुकथा ” भविष्य ” पर बनी लघु फिल्म को अवसर साहित्य यात्रा ने प्रदर्शित किया !
L इनके अतिरिक्त अशोक कुमार,,कीर्ति काले, चाहत शर्मा, अंजना पचौरी, पुष्पा शर्मा, नीरज सिंह, नीलम. संतोष मालवीय,दुर्गेश मोहन, डॉ सुनील कुमार उपाध्याय आदि की भी दमदार उपस्थिति रही l

प्रस्तुति : ऋचा वर्मा ( सचिव ) एवं सिद्धेश्वर ( अध्यक्ष )/ भारतीय युवा साहित्यकार परिषद(मोबाइल :9234760365)

One thought on “लघुकथा, लघु और सृजन कठिन”
  1. अवसर साहित्य धर्मी पत्रिका हैलो फेसबुक लघुकथा के अध्यक्ष श्री सिद्धेश्वर जी का साहित्य के प्रति समर्पण हमेशा दिखता है। इसमें कतई संदेह नहीं है कि नए और पुराने कथाकारों को वो समान रूप से मौका देते हैं। इसके लिए उन्हें हार्दिक धन्यवाद

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