पटना :02/05/2022 ! ” हमारे दैनिक जीवन में संगीत की अहम् भूमिका रही है ! संगीत ही है जो खाली समय में इंसान को व्यस्त रखने की पूरी क्षमता रखती है l इसके अलावा मानसिक संतुलन को बनाए रखने में भी संगीत कारगर साबित हुई है l ढेर सारे ऐसे लोग भी हैं जो अपने दैनिक जीवन की शुरुआत ही आध्यात्मिक संगीत से करते हैं l संगीत बहुमूल्य शक्तिशाली यंत्र है जो हमारे जीवन की नीरसता को दूर करने में अहम् भूमिका का निर्वाह करती है! संगीत गहरी नींद के लिए भी कारगर उपाय है l जीवन को रंगीन बनाने के लिए संगीत सबसे अधिक सक्षम है l ”
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वधान में, फेसबुक के ” अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका ” के पेज पर, ऑनलाइन ” हेलो फेसबुक संगीत सम्मेलन ” की अध्यक्षता करते हुए सिद्धेश्वर ने उपरोक्त उद्गार व्यक्त किया !
संगीत सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध कवयित्री डॉ आरती कुमारी ने कहा कि ” संगीत के मोहक-सुर की मादकता का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह हमारे साथ जन्म से लेकर मृत्यु तक रहता है। आदिकाल में जब भाषा नहीं थी तब लोग संगीत के माध्यम से ही अपनी भावनाओं का आदान-प्रदान किया करते थे। कहा जाता है कि जब ब्रह्माजी ने धरती पर मनुष्यों को तरह-तरह के दुखों से परेशान देखा तो वे वेद और उसके चार उपवेदों, यथा ऋग्वेद से पाठ्य, यजुर्वेद से अभिनय, सामवेद से गीत और अथर्ववेद से रस का संचयन कर पंचम वेद के रूप में नाट्य वेद की रचना की और संगीत वही सुव्यवस्थित ध्वनि है जो रस की सृष्टि से उत्पन्न होती है।हमारा कोई भी संगीत चाहे शास्त्रीय, उपशास्त्रीय या फिर सुगम संगीत हो, इन्हीं रसों से भीगे होते हैं। वर्तमान समय में संगीत एक ऐसा सशक्त माध्यम है जो व्यक्ति को शारीरिक-मानसिक रोगों व व्याधियों से मुक्ति प्रदान करता है। संगीत की तीनों धाराएं यथा गायन, वादन व नृत्य, न केवल स्वर, ताल और लय की साधना है, बल्कि एक यौगिक किया है। इससे शरीर, मन और प्राण तीनों में शुद्धता और चैतन्यता आती है एवं एकाग्रता भी बढ़ती है। ”
“हमारे जीवन को रंगीन बनाती है संगीत !”: सिद्धेश्वर
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” संगीत का साथ हमारे जन्म से
मृत्यु तक रहती है.!”:डॉ आरती कुमारी
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि मुरारी मधुकर ने कहा कि- ” मैं यह भी गहराई से महसूस करता हूं कि गीत- संगीत एवं साहित्य मानव मन में मानवीय गुणों का सृजन एवं संवर्धन करता है और इससे जुड़े लोगों में मानवीय संवेदना, संजीदगी एवं सहिष्णुता समाज के अन्य पक्षों से कहीं अधिक होती है। मैं यह भी मानता हूं कि मधुर गीत- संगीत उस तरुवर सदृश है जो भीषण गर्मी से तपते तन -मन को छांव और शीतलता देता है। “उन्होंने कुछ फिल्मी गीतों को भी गुनगुनाया l
इस संगीत सम्मेलन में आस्था दीपाली (नई दिल्ली) द्वारा प्रस्तुत कथक नृत्य को दर्शकों ने काफी पसंद कियाl अनुराधा पाल का तबला का संगत भी बेजोड़ रहा l लता मंगेशक और किशोर कुमार के गाए मार्मिक जुगल गीत ” तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा तो नहीं, शिकवा नहीं… !” पर जबरदस्त अभिनय किया, राज प्रिया रानी और सिद्धेश्वर ने l अरुण कुमार गौतम ने युगल छठ गीत सुनाया l इनके अतिरिक्त पूनम श्रेयसी ने भी ” कजरा मोहब्बत वाला अंखियों में ऐसा कजरा डाला, पर अभिनय प्रस्तुति दिया l नरेंद्र सारकर (नागपुर ) ने भी एक युगल संगीत ” दुःख के दिन बीते रे भइया, अब सुख आयो रे, रंग जीवन में नया लायो रे !” की अनोखी प्रस्तुति दी!
सीमा रानी ने ” रोज-रोज, डाली – डाली, भंवरा… “/ डॉ आरती कुमारी ने -” हमने देखी है उन आंखों की महकती खुशबू !”/मधुरेश नारायण ने – ” तेरी याद दिल से भुलाने चला हूं कि खुद अपनी हस्ती मिटाने चला हूं !”/ मुकेश कुमार ठाकुर (मध्य प्रदेश ) ने ” मेरी मोहब्बत जवां रही है जवां रहेगी!” गीत गाकर दर्शकों की वाहवाही लूटी l इस संगीत सम्मेलन में पूनम कतरियार,ऋचा वर्मा, दुर्गेश मोहन , रामनारायण यादव, पूनम श्रेयसी, निर्मल कुमार डे, पुष्प रंजन, आराधना प्रसाद, दुर्गेश मोहन, संतोष मालवीय, राम नारायण यादव,, नरेश कुमार, अमरजीत कुमार, नन्द कुमार मिश्र,. भावना सिंह, ज्योत्सना सक्सेना, बृजेंद्र मिश्रा, खुशबू मिश्र, डॉ सुनील कुमार उपाध्याय, अनिरुद्ध झा दिवाकर, बीना गुप्ता, स्वास्तिका, अभिषेक आदि की भी भागीदारी रही।
( प्रस्तुति : ऋचा वर्मा ( सचिव ) / एवं सिद्धेश्वर ( अध्यक्ष ) भारतीय युवा साहित्यकार परिषद) {मोबाइल: 9234760365 }
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