– विद्या शंकर विद्यार्थी
‘ तुम्हारा नाम ? ‘ जनगणना कर्मियों ने प्लेटफार्म पर फटेहाली में बैठी महिला से पूछा ।
‘ भिखारिन ‘
‘ और इस बच्चे के पिता का नाम ?’
‘ दरिंदे, जिस्म के भूखे भेड़िये… और… और कुछ नहीं, औरत हूँ न? बेबसी में जिंदा औरत।’ और वह आँसू पोछती रही।