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सुरेन्द्र कौर बग्गा

सेठ धरमदास जी का पांच सौ का नोट गलती से कुरते की जेब में कुरते के साथ ही धुल गया था। नोट की स्थिति काफी खराब हो चुकी थी। सेठ जी ने उसे बाजार में कई दुकानों पर चलाने का प्रयास किया, लेकिन कोई भी दुकानदार उस नोट को लेने को तैयार नहीं था।
आज जब सेठ जी अपनी दुकान पर जा रहे थे, तभी रास्ते में पड़ने वाले मंदिर में काफी भीड़ दिखाई दी। शायद कोई बड़ा धार्मिक अनुष्ठान चल रहा था। उन्होंने साइड में अपनी गाड़ी रोकी और मंदिर में प्रवेश किया।भगवान के सामने आंखें मूंदकर दो-चार मनोकामनाओं की पूर्त्ति के लिए प्रार्थना की और वह पांच सौ का नोट मंदिर की दान पेटी में डाल दिया ।
खुशी-खुशी वह मंदिर से बाहर आए ।जैसे ही गाड़ी की चाबी निकालने के लिए जेब में हाथ डाला कि उनका माथा घूम गया। भीड़ में किसी जेबकतरे ने उनका बटुआ मार लिया था।

-343,विष्णुपुरी एने.
इंदौर
मो.9165176399

One thought on “जैसे को तैसा”
  1. भगवान भी, खोटी लक्ष्मी का समुचित लाभ देता है।

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