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– नरेंद्र कौर छाबड़ा

सेठ रौनक मल के इकलौते बेटे की शादी का निमंत्रण पत्र मिला तो महेश ने अपने दोनों बच्चों से कहा,” देखो बेटे, वहां ढेर सारे  व्यंजन होंगे।आइसक्रीम, कोल्डड्रिंक्स, मिठाई, कचौड़ी और पुलाव आदि  सभी को जी भर कर खा लेना। आखिर ₹101 देने हैं पूरी तरह वसूल हो जाने चाहिए।”
पास खड़ी पत्नी भी मुस्कुरा दी।
 पार्टी खत्म होने के बाद घर लौटते ही दोनों बच्चे बड़े उत्साह से चहकने लगे, ” पापा, मैंने तीन आइसक्रीम के साथ सारे पकवान खूब दबा कर खाया …”
“मैंने दो कोल ड्रिंक पी…”
“शाबास, आज तो तुमने पूरे पैसे वसूल कर लिए…” महेश ने उनकी पीठ थपथपाई।
 घंटा भर बीता होगा कि बड़ा बेटा मां के पास आया, ” मम्मी, पेट में दर्द हो रहा है …”
उसके साथ ही उसे उल्टियां होने लगी। पति- पत्नी घबरा गए, फौरन अस्पताल ले गए।
“शायद इसे खाने में विषबाधा हो गई है अत : दो-तीन दिन अस्पताल में रखना पड़ेगा।” डॉक्टर ने बताया।
दवाइयों, इंजेक्शनों, ग्लूकोज से बेटे की हालत सुधरी। तीसरे दिन पांच हजार रुपए का बिल थमा कर जब वह घर लौटे तो शादी में दिए रुपयों के हिसाब से मन मसोसते रह गए।

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