Spread the love

 

 

-रीतु प्रज्ञा

कविता 

बजैत अछि पायल छमछम।
चमकैत अछि कंगना चमचम।।
चलि गेलै साल दू हजार बीस,
आबि गेलै सुखद दू हजार इक्कीस।
आयल नवल वसंत,
कष्टक भेल अंत।
बजैत अछि पायल छमछम।
चमकैत अछि कंगना चमचम।।
भेलैथ श्यामा माई सहाय,
हरलखिन सबहक हाय।
मुस्कैत अछि ठोर,
सूखल आँखिक लोर।
बजैत अछि पायल छमछम।
चमकैत अछि कंगना चमचम।।
बाजल हृदय तरंग,
जागल सूतल उमंग।
छितरायल शुभ रश्मि सबतरि,
आयल हुलास ढाकि भरि-भरि।
बजैत अछि पायल छमछम।
चमकैत अछि कंगना चमचम।।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

satta king gali