– रीतु प्रज्ञा
गीत
लेलैथ जनम कन्हैया हे, चलु सखी झूलना झुलाबय।
कृष्णा छथि मनमोहना हे, चलु सखी नैना जुराबय।।
नंद आँगन गावैथ सब बधैया, झूमैत छथि मगन देखि गोपाल
मंद-मंद मुस्कैत छथि यशोदा, कोरा खेलैथ नंदलाल
लेलैथ जनम कन्हैया हे, चलु सखी झूलना झुलाबय।
बड्ड नीक लागत श्याम रूप सलोना हे, चलु सखी हिया जुराबय।।
गम गम करैत छनि आँगन, बाजा बजैत छनि चहुं ओर
आयल छथि देवी-देवतागण, दिव्य भेल अछि आजुक भोर।
लेलैथ जनम कन्हैया हे, चलु सखी झूलना झुलाबय।
भरि नगरी मचल अछि शोर हे, चलु सखी दुख बिसराबय।।
चंदन के झूलना शोभैत अछि रेशम डोरी, सोना, चाँनी के लागल अछि खिलौना
बाँटि रहल छथि यशोदा कंगना, बैसव दैत छथि सुन्दर बिछौना
लेलैथ जनम कन्हैया हे, चलु सखी झूलना झुलाबय
बाल क्रीड़ा लागैत अछि अनमोल हे, चलु सखी स्नेह बरसाबय।
लेलैथ जनम कन्हैया हे, चलु सखी झूलना झुलाबय।
कृष्णा छथि मनमोहना हे, चलु सखी नैना जुराबय।।
- दरभंगा, बिहार
चित्र कॉपीराइट – मुस्कान गुप्ता