. डॉ. जियाउर रहमान जाफरी
नहीं नींद होती है पूरी
रह जाती है बात अधूरी
मम्मी कहती आओ बेटे
सुनो न अब जग जाओ बेटे
जल्दी से हो जाओ रेडी
देखो तो तैयार हैं डैडी
उनको भी है ऑफिस जाना
और फिर तुमको भी पहुंचाना
हर इक रोज़ ये क्या है कहना
नहीं देर स्कूल में करना
शायू बोलो सुन मेरी मम्मी
रख लो अपना टिफिन मोसम्मी
क्यों तुम को इतनी जल्दी है
आज तो संडे की छुट्टी है
– स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग
मिर्ज़ा ग़ालिब कॉलेज गया, बिहार
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