– त्रिलोक सिंह ठकुरेला
बादल आये भरकर पानी,
रिमझिम बरसी वर्षा रानी ।
नन्हीं नन्हीं बूँदें आईं,
बाहर आकर देखो नानी ।।
बादल गरजे, बिजली चमकी,
और चली ठंडी पुरवाई ।
परनालों ने शोर मचाया,
गलियों ने जलधार बहाई ।।
खुश हो मेंढक लगे उछलने,
नाचे मोर मुग्ध हो वन में ।
खेतों में जल भरा लबालब,
कृषकों ने सुख माना मन में ।।
बच्चे नाव बनाकर लाये,
जल में छोड़ी तो वह दौड़ी ।
मां बोली- लो, आओ बच्चो,
खाओ पीओ चाय पकौड़ी ।।