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 – नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’

 

लीलावती का चेहरा आज ख़ुशी से दमक रहा था । अपनी चारों बेटियों संगीता, अलका, मधु और झुनी को बहुत ऊँचे मुकाम पर देख उसकी आँखें ख़ुशी से छलछला जाती थीं । इन्ही चारों बेटियों के लिए उसने अपनी जेठानियों, देवरानियों और गाँव की सभी महिलाओं से न जाने कितनी बार ताने उल्हाने और जली कटी सुनी थी ।

जब – जब जीवित्पुत्रिका व्रत आता सब के सब महिलाएं उसे ताने देतीं, ‘लीलावती तेरे भाग्य में तो चांदी की ही जिउतिया पहनने को ही लिखा है, सोने की जिउतिया तो कभी पहन ही नहीं सकती। आखिर तेरा कोई बेटा है ही नहीं और होने का चांस भी नहीं है । कर्म फूट हैं तेरे जो तूने चार – चार बेटियों को ही जन्म दे दी ।

लीलावती बस रोती। जब शांत हुई तो उसने मन में यह ठान लिया कि भले मेरा कोई बेटा नहीं है तो ना सही लेकिन अब इन चारों बेटियों को ही खूब पढ़ा कर उन्हें अच्छे से अच्छे मुकाम पर पहुंचा कर बेटे जैसा नाम रौशन करूंगी जितना आज तक इस गाँव में किसी के बेटे ने न किया होगा। उस समय मैं सोने की क्या हीरे की जिउतिया पहनूंगी ।

पति ने भी बेटियों की ऊँच शिक्षा दिलाने के लिए कुछ खेत बेंच डाला और पत्नी के साथ मिलकर बाकी बचे खेत में जी तोड़ मेहनत की ।

अत्यंत पिछड़े गाँव की संगीता लोकसभा की सांसद बन गई । अलका इंग्लिश की प्रोफेसर, मधु नई दिल्ली एम्स की डॉक्टर और झुनी जज बनी ।

जो  महिलाएं लीलावती को बेटा न होने से हमेशा अपमानित करती थी आज वही अपने नालायक और कुछ बेरोजगार बेटे को नौकरी लगवाने के लिए चारों बहनों के आगे पीछे डोल रही थीं ।

आज लीलावती ने जीवित्पुत्रिका का व्रत बड़े हर्षोल्लास के साथ किया था ।

शाम को पोखर के पास व्रत की हुई बहुत सी महिलाएं जुटी हुई थीं । लीलावती की चारों बेटियों को देखने के लिए पूरा गाँव ही पोखर के पास आ गया था । मीडिया वालों को अच्छी कवरेज मिल गई थी ।

लीलावती ने सूर्य भगवान को अर्ध्य देकर पति और बेटियों के साथ जीवित्पुत्रिका की कथा सुनी ।

चारों बेटियों ने अपनी – अपनी कमाई को एक साथ मिलाकर माँ के संकल्प को पूरा करते हुए चमचम चमकती एक बड़ी सी हीरे की जिउतिया बनवाई थी। जो सोने में मढ़ी हुई थी । लीलावती के कहने पर सोने पर चारों बेटियों के नाम गुदे हुए थे । लाल धागों में गुंथी हुई जिउतिया को चारों बेटियों ने माँ को पहना दी। लीलावती ने चारों बेटियों की लंबी उम्र के लिए भगवान से प्रार्थना कर उन्हें हृदय से लगा लिया ।

 

One thought on “जिउतिया हीरे की”

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