– आचार्य नीरज शास्त्री
1. हिसाब
हिसाब
नहीं है जिनके पास
मेरे द्वारा की गई परवरिश का।
उस परवरिश के लिए
मेरे द्वारा सहे कष्टों का,
मेरे त्याग, उपकार,
प्रेम और बलिदानों का।
मेरे शिष्टाचार
और
अपने आचरण के भ्रष्टाचार का।
वे आज़ मांगते हैं,
मुझसे
मेरे ही द्वारा कमाए
पैसों का हिसाब ।
2. खून के रिश्ते
मेरे साथ भी
लोगों के खून के रिश्ते हैं, बिलकुल
मच्छरों की तरह,
आए, डंक मारा,
खून पिया
और
चल दिए।
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