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  • अशोक वाधवाणी

सभी बुजुर्ग रोज़ाना सुबह बाग में इकट्ठे होकर आपस में हंसी – ठिठोली करने के अलावा एक दूसरे की छोटी – छोटी समस्याओं का समाधान भी करते थे। आज आत्माराम मुंह लटकाए, गंभीर मुद्रा में गुमसुम बैठे थे। सबके बार – बार कुरेदने पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए, संजीदगी से कहा, “ जब तक मेरी पत्नी जीवित थी, मेरी छोटी – मोटी जरूरतों का खास ख्याल रखती थी। उसके देहांत के बाद, खाने – पीने तक की चीजें मांगने पर ही मिलती हैं। बहू – बेटे के बुरे बर्ताव ने मेरे जीवन को नरक में बदल दिया है। ऐसा नरकीय जीवन जीने से तो अच्छा है, मृत्यु को गले लगा लूं। “
आत्माराम का दुख, पीड़ा जानकर वहां उपस्थित सभी जन सकते में आ गए। मामला काफी गंभीर था। सभी एक दूसरे का मुंह ताकने लगे। सब को शांत बैठा देखकर वहीं बैठे आलोक कुमार ने आत्माराम को ढ़ाढ़स बंधाते हुए कहा, “ प्रायः हम निराशा – हताशा के क्षणों में आशा का दामन छोड़ देते हैं। अवसाद के भी शिकार हो सकते हैं। मेरा मानना है कि हर समस्या का समाधान हो सकता है,  ज़रूरत है समस्या को समझकर सुलझाने की। कोई भी समस्या न तो आखिरी होती है और न ही ज़िंदगी से बड़ी। इनसे डरकर आत्महत्या करना कायरता है। एक बार मैंने भी मुसीबतों से तंग आकर ऐसी घिनौनी हरकत की थी। बाद में ठंडे दिमाग़ से सोचने पर, सारी परेशानियों को एक – एक करके,  काफूर की तरह उड़ा दिया …। “
आलोक कुमार की समझाईश का आत्माराम पर गहरा असर हुआ। ख़ुद को तनाव मुक्त अनुभव करने लगे। सबके सामने वादा किया कि भविष्य में आत्महत्या के बारे में सोचेंगे भी नहीं। एक – एक करके सभी लोग वहां से चले गए। एकांत पाकर आलोक कुमार के मित्र चतुरमल ने उनसे पूछा, “ मैं तुम्हें वर्षों से जानता हूं। तुम्हारे जैसा जिंदादिल व्यक्ति आत्महत्या करना तो दूर, ऐसे बुरे विचारों तक को पनपने नहीं देगा। फिर तुमने ऐसा झूठ …।”
आलोक कुमार ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “हां, मैंने जानबूझकर आत्महत्या वाली मनगढ़ंत बात बताई। शारीरिक, मानसिक रूप से पीड़ित व्यक्ति को हमारा थोड़ा सा सहयोग, सुझाव, प्रेमपूर्ण प्रोत्साहन मिलने पर ज़िंदगी की जटिलताओं से जूझने की ताकत दें, जीने की आस जगा दें तो इससे बड़ा कोई पुण्य कार्य नहीं। तुमने देखा मेरे झूठ के कारण ही उन्हें काफी राहत महसूस हुई। उनकी आंखों में ख़ुशी की चमक, कृतज्ञता के भाव थे। किसी विद्वान ने कहा है , “ जान लेने वाले सच से तो वो झूठ अच्छा है, जो किसी में जीने की चाहत पैदा कर दे।”

चतुरमल को ख़ुश करने के लिए आलोक कुमार ने झूठ बोला, जबकि वास्तव में उन्होंने आत्महत्या की कोशिश की थी।

– गांधी नगर , महाराष्ट्र, संपर्क :  9421216288, ई मेल ashok. [email protected]

 

 

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