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-ऋचा वर्मा

 

मधुर और जादुई आवाज में वेदों के मंत्रोच्चार और आंखों को चौंधिया देने वाली रोशनी के बीच गुरु जी मंच पर अवतरित हुए। भक्तगण वहीं से पुष्प – अक्षत मंच की तरफ फेंक, अपने – अपने स्थान से ही साक्षात दंडवत कर पूर्ववत बैठ गए, उनके हाथ याचना की मुद्रा में आगे की ओर फैले हुए थे। गुरु जी के दिव्य स्वरूप का दर्शन पा, भक्त भावविह्वल हो उठे, अपनी दीनता प्रदर्शित करने के लिए कुछ तो सुबक – सुबक कर रो भी पड़े।

तभी उद्घोषणा हुई और तय कार्यक्रम के अनुसार शर्मा जी की पुत्री क्षिप्रा, इक्यावन हजार रुपये के सहयोग राशि के रसीद पर अपनी मनोकामना अंकित कर, गुरु जी के चरणों पर समर्पित कर आई। रात को गुरु जी के कुछ अतिविशिष्ट भक्त, जिनमें बड़े-बड़े उद्योगपति और राजनैतिक हस्ती शुमार थे, उनसे व्यक्तिगत रूप से आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु पहुंचे और प्रसाद स्वरूप मनोकामना वाली पर्चियां लेकर वापस लौटे।

कुछ दिनों के बाद क्षिप्रा का नियुक्ति-पत्र आ गया…. ‘गुरु जी की महिमा अपरंपार है’ के टैगलाईन के साथ शर्मा जी के यहाँ धन्यवाद ज्ञापन का समारोह आयोजित किया गया। यूट्यूब पर गुरु जी के साक्षात दर्शन- पूजन के कार्यक्रम में सभी भक्त सपरिवार सम्मिलित हुए, सिवाय सिन्हा जी के परिवार के, उनकी पत्नी अपनी बेटी शुभा को कोस रहीं थीं, ‘तुम्हे तो आस्था ही नहीं है गुरु जी पर, क्षिप्रा से कुछ सीखो…’

 

कॉपीराइट कलाकृति : सिद्धेश्वर

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