Spread the love

– विद्या शंकर विद्यार्थी

ऐसे वैसे तुम तो, जी लेते हो जैसे तैसे
कभी सोचा है, जिंदगी सफर कर रही है
हँसते ढो लेते हो, परिवार की सारी बोझ
कभी सोचा है, जिंदगी गुजर कर रही है।
हमें हँसी नहीं, तुम्हारी चिंता सताती है
जिंदगी क्या है, हमें जिंदगी ही बताती है
हम सांसें लेते हैं, सुकुन की खुली हवा में
कभी सोचा है, जिंदगी संघर्ष कर रही है
सोचते हैं, कि सपने हम अपने सजाते हैं
अपने जीवन में अच्छे रिश्ते निभाते हैं
उम्मीद के पत्ते कायम रहे अपनी जगह
कभी सोचा है, जिंदगी विमर्श कर रही है।
अपनी पूरी जिंदगी झोंको नहीं परिवार में
जिंदगी की खुशी चूनो नहीं घर परिवार में
पंख है तो अपने लिए भी फैलाओ गाओ
कभी सोचा है, जिंदगी सफर कर रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.