– डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
महादेव की गूँज बनारस।
शक्ति बनारस भक्ति बनारस
घाट-घाट है तीर्थ प्रेम का
अनुरागी आसक्ति बनारस।।
अन्नपूर्णा पूज्य बनारस
शिव गंगा माँ, शिवा बनारस।
साधू ,संन्यासी, संतों से
जागृत है निशि -दिवा बनारस।।
ना धिन धिन्ना धिना बनारस
शहनाई की तान बनारस ।
भीड़ ठसाठस भरी चौक पर
महादेव भगवान बनारस ।।
मेला- ठेला सजा बनारस
गलियों में नित भरा बनारस
अधर- अधर पर हँसी- ठिठोली
वाणी में शर्करा बनारस
चैती, ठुमरी ,ध्रुपद बनारस
कजरी का त्यौहार बनारस ।
पावन श्रावण- मास शिवा- शिव
आनंदित जयकार बनारस ।।
भरी खचा- खच सड़क बनारस
संस्कारों में दाह बनारस ।
मुड़-मुड़कर देखती परस्पर
पान चबाकर आह बनारस ।।
माँ माली मल्लाह बनारस
चौरासी हैं घाट बनारस ।
गरम जलेबी, पुड़ी -कचौड़ी
लौंगलता की हाट बनारस ।।
ओढे़ गमछा सिल्क बनारस
भांग- धतूरा, क्षीर बनारस ।
नाट्य -मंडली- वैभव बिखरा
तप- साधन प्राचीर बनारस ।।
शिल्प -कला, साहित्य विधा में
उच्चासन आसीन बनारस ।
जगत गुरू शंकराचार्य के
दर्शन में तल्लीन बनारस।।
घंटा- ध्वनि ,घड़ियाल बनारस
मठ -मंदिर, पंडाल बनारस ।
महादेव के जयकारों से
पल-छिन मालमाल बनारस ।।
-वाराणसी
9671619238