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नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’
आज चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का प्रथम दिन है । 2 अप्रैल, शनिवार 2022 से विक्रम संवत 2079 हो जाएगा। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अपने आप में बहुत महत्त्वपूर्ण तिथि है। आइए जानते हैं क्यों यह तिथि इतनी महत्वपूर्ण हैं ?
- चैत्र मासे जगद्ब्रह्म समग्रे प्रथमेऽनि
शुक्ल पक्षे समग्रे तु सदा सूर्योदये सति।-
ब्रह्मपुराण
अर्थात ब्रह्म जी ने चैत्र मास के शुल्क पक्ष के प्रथम दिन सूर्योदय होने पर संसार की सृष्टि की रचना की थी।
- तैतरीय ब्रह्यमण में ऋतुओं को पंक्षी के प्रतीक रूप में प्रस्तुत किया गया है। वर्ष का सिर बसंत है, दाहिना पंख ग्रीष्म है, बायाँ पंख शरद, पूँछ वर्षा और हेमंत को मध्य भाग कहा गया है।
- शुक्ल प्रतिपदा को ही रेवती नक्षत्र में विषकुम्भ योग में दिन के समय भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था।
- भारत वर्ष में काल गड़ना इसी दिन प्रारंभ हुई थी।
- महाराजा विक्रमादित्य ने शकों को पराजित कर एक नए युग का सूत्रपात किया था जिसे विक्रमी शक संवत्सर कहा जाता है।
- इसी दिन हिन्दू नववर्ष का आरंभ होता है।
- शुक्ल प्रतिपदा के दिन चंद्रमा की कला का प्रथम दिवस माना जाता है।
- प्रतिपदा के दिन ही पंचांग तैयार होता है।
- महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीने और वर्ष की गड़ना करते हुए पंचाग की रचना की थी। इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और सावंतसरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगड़ना के अनुसार माना जाता है।
- मान्यता है कि इसी दिन श्री दुर्गा माँ के आदेश पर ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। इसलिए इस दिन दुर्गा जी के मंगल सूचक घट की स्थापना की जाती है।
- छठे दिन सूर्योपासना छठ आस्था और विश्वास का प्रतीक! जो सूर्य भगवान हमें रोशनी और प्रकाश से हमें जीवन देते हैं उनके निमित महत्वपूर्ण चैत्र छठ इसी तिथि में मनाई जाती है ।
- नव दिन माँ भगवती की नवरात्रि होती है।
- और सबसे महत्वपूर्ण नवे दिन भगवान श्री राम का जन्मोत्सव होता है ।
- महाराष्ट्र में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा का त्योहार खूब धूम धाम से मनाया जाता है । मराठा शासक छत्रपति शिवाजी ने युद्ध जीतने के बाद सबसे पहले गुड़ी पड़वा का त्योहार मनाया था । जिसके बाद सभी मराठी लोग इस त्योहार को मनाने लगे ।
हिन्दू नव वर्ष की मंगल बधाई !