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सुमन पाठक

 

हमारी भारतीय संस्कृति पर्व व उत्सवों से परिपूर्ण मानी जाती है जहां हर दिन किसी न किसी देवता के आवाहन पूजन का होता है  वही पेड़-पौधे जीव जंतु सभी को समान रूप से जीवन का हिस्सा माना गया है । गाय तो हमारे वेद शास्त्रों में सभी देवी देवताओं का प्रतीक मानी जाती है नदी कुआ तालाब आदि भी पूजित ही है।

हम आजकल निरंतर तीव्र गति से पाश्चात्य संस्कृति का अनुकरण करने लगे हैं अपनी संस्कृति व सभ्यता को अपूरणीय क्षति पहुंचा रहे हैं जिस पर हमें विचार

अवश्य करना चाहिए ।

जन्मदिन हो या किसी की वैवाहिक वर्षगांठ अर्ध रात्रि में 12:00 बजे ठीक 12:00 बजे फोन करके बधाई देना बहुत आवश्यक समझने लगे हैं आधी रात को ही केक काटने का प्रचलन इतना बढ़ गया है कि कुछ भी कहना कम है ऊपर से मोमबत्तियों को जलाकर फिर बुझाना एक तो केक अशुद्ध अपवित्र वस्तु ऊपर से उसके ऊपर जल रही मोमबत्ती का मोम पिघल कर उसी में आ रहा है फिर जिसका जन्मदिन है उसका नाम केक पर लिखा है और आजकल तो केक के ऊपर फोटो भी छापना  चलन में हो गया है। जरा  विचार कीजिए कि जिसके लिए आप लंबी उम्र की कामना कर रहे हैं उसके नाम और फोटो पर चाकू चला कर काटना  यह कहां तक सही  है ये वीचारणीय प्रश्न है, फिर मोमबत्ती  को जाकर खुद ही बुझाना प्रकाश से अंधकार की ओर जाने का संकेत नहीं है क्या?

आधी रात में काली शक्तियां जागृत होती है जितनी भी मर्लिन व तांत्रिक क्रियाएं होती है वह सब अर्धरात्रि के बाद ही संपन्न हो पाती है कि कोई देख ना ले कोई रोक ना दे फिर ये केक   खिलाने की प्रक्रिया एक बार हाथ में केक लिया वही ना जाने कितने लोगों को खिला दिया जाता है और आजकल तो नया ट्रेंड चला है कि जिस केक को खाया खिलाया है उसी से होली भी खेलेंगे यह पद्धति हमारे भारतीय समाज की रग रग में बस गई है जो कि सर्वथा अनुचित है गलत हैं ।

जबकि हमारे भारतीय संस्कृति में सूर्योदय से पहले जागने का विधान है अपने माता-पिता का आशीर्वाद लें नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर ईश्वर की उस दिन विशेष पूजा अर्चना करें क्योंकि मानव जन्म होना पूर्व जन्मों के पुण्य और ईश्वर की अनुकंपा का फल है यदि सौभाग्य से आप संस्कारित व आदर्शवादी परिवार में जन्म लिए हैं तो सोने पर सुहागा है, जन्मदिन के अवसर पर गाय को चारा खिलाएं, घर पर पंचांग पूजन के साथ छोटा सा हवन भी रख सकते हैं  ,ब्राह्मणों को भोजन कराएं यथाशक्ति दक्षिणा दें ,अपने इष्ट मित्रों को भी आमंत्रित करें, सत्यनारायण भगवान की कथा कराएं, नवग्रह पूजन करें आप के ग्रह नक्षत्र प्रखर हो जीवन में उन्नति हो, पितरों के निमित्त नदी अथवा जलाशय  में जाकर पूजन करें मछलियों को दाना डालें पक्षियों को दाना डालें गरीब बच्चों को उपहार दे भजन संध्या आदि का आयोजन करें जिससे सभी बड़ों के साथ ईश्वर की कृपा भी प्राप्त कर सकते हैं ।आप अपनी संस्कृति और सभ्यता को भी आगे बढ़ाने में सहयोग कर सकते हैं ऐसा करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है सभी के प्रति आदर सम्मान की भावना मन में आती है जिससे व्यक्ति यशस्वी व तेजस्वी व्यक्तित्व के धनी होते हैं ।सभी के जीवन में सुख शांति समृद्धि स्थापित रहती है।

और हां, मानव कितना भी प्रगति कर ले किंतु  प्रकृति से ऊपर कभी नहीं जा सकता, प्रकृति के बस में रहना ही मानव का धर्म है। जीवन सदैव ग्रह, नक्षत्र, और राशियों ,के अनुसार ही चलता है इसलिए कोई विपत्ति आने पर जन्मपत्री दिखाने से बेहतर है कि  अपनी इच्छा से ही ईश्वर का स्मरण पूर्ण मनोयोग से करें ताकि उनकी कृपा सदैव बनी रहे कर्म ही प्रधान है इसलिए इस आडंबर को छोड़कर संस्कृति की ओर लौटे।

  • मथुरा

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