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     मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश, के वरिष्ठ कवि व लेखक की सद्य:प्रकाशित कविता संग्रह ‘हथौडियों की चोट” हिंदी श्री प्रकाशन,भदोही से प्रकाशित होते ही चर्चा में आ गई है।

     इसमें  की छोटी-छोटी कवितायेँ पाठकों के दिल व दिमाग पर हथौडियों की ऐसी चोट करता है कि पाठक तिलमिला जाता है,तो कहीं हँसने के लिये तो कहीं देर तक सोचने के लिये मजबूर हो जाता है।
     इसकी कविताएं विभिन्न खंडों में विभाजित हैं।कुछ कविताएं अनेक पत्र-पत्रिकाओं में छपी हुई हैं।
उनको अब एकत्र करके कवि ने पुस्तकाकार रूप में पाठकों की परोसा है।
     पुस्तक की भूमिका में लेखक ने अपने जीवन की जिन त्रासदियों का वर्णन किया है उन्हें पढ़कर आंखें भर आती हैं। उनसे सविता जी के गद्य लेखन की पराकाष्ठा का पता चलता है।
     पुस्तक का कवर,पृष्ठ की संख्या,गेटअप बहुत सुंदर है।यह सजिल्द पुस्तक को अमेजन पर भी उपलब्ध है।
     कवर पृष्ठ पर’ पत्थर’ कविता छपी है-
शिल्पकार/पत्थर में इंसान जगाने के लिए/हथौडियों की चोट करता रहा/यहां इंसान/इंसान की चोट से पत्थर होता रहा।
     इसी तरह उनका एक व्यंग्य है” स्वर्गवासी” शीर्षक से-
शादी हुई/पत्नी आई/घर स्वर्ग हो गया/मैं स्वर्गवासी हो गया।
                     समीक्षक—
                    अरविंद अवस्थी,
          बेलखरिया का पुरा, मिर्जापुर231001
      उत्तर प्रदेश

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