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दुर्गेश मोहन

चौदह सितम्बर है यादगार
यह है हिन्दी दिवस।
यह है अनुपम व लाभकारी
यह है फैलाती ज्ञान व यश।
हिन्दी दिवस की गाथा है निराली
इसे संजोए थे कई विद्वान।
यह एक सूत्र में बांधकर
भारत को बनाए हैं महान।
हिन्दी है प्राचीन भाषा
सरल एवं समृद्धिशाली।
इसकी है अद्भुत महिमा
यह है बनी भाग्यशाली।
हिन्दी भाषा सीखकर
पाठक बन जाते साहित्यकार।
साहित्य की सेवा कर
वे गाते जय जयकार।
हिन्दी की हो रही उत्तरोत्तर
विकास और अमिट पहचान।
यह सफलीभूत होकर
पाठकों के बीच बनी है शान।
साहित्य अमर है, अमर रहेगा
भारतेन्दु ने दिया योगदान।
दिनकर की अद्भुत है गाथा
हिन्दी समृद्ध है,भारत की शान।
हिन्दी हमारी है धरोहर
यह है सशक्त भाषा।
इसकी है उपलब्धि महान
यह है बनी मातृभाषा।
यह है भाषा की जननी
यह बनेगी निश्चित राष्ट्रभाषा
यह है सफ़ल हस्ताक्षर
और है समुन्नत भाषा।

– (शिक्षक)
समस्तीपुर(बिहार)

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