जादूगरनी हूं मैं जादू टोना कर दूंगी।
आसमान के सूरज को भी बौना कर दूंगी।।
मेरे पास हैं बहुत से जंतर
बाधा व्याधि करूं छूं मंतर
मंत्रों का मैं करूं उच्चारण
हर बाधा से तुरत निवारण
रेत धूल कंकड़ पत्थर सब
सोना कर दूंगी।।
जादूगरनी हूं मैं जादू टोना कर दूंगी।।एक साथ बहुरूप धरूंगी
सघन धूप को छांव करूंगी।।
बोलेंगे ये मधुरिम बैना
मतवारे मदमस्त दो नैना
प्यार से अभिसिंचित मन का
हर कोना कर दूंगी।।
जादूगरनी हूं मैं जादू टोना कर दूंगी।।जब चाहूं मुठ्ठी में धर लूं
तुझको अपने वश में कर लूं।
रस्सी को मैं सांप बना कर
छोटे से थैले में भर लूं।।
कठपुतली सा नाचोगे
खिलौना कर दूंगी।।
जादूगरनी हूं मैं जादू टोना कर दूंगी ( कलाकृति : सिद्धेश्वर)