– डॉ. राजश्री तिरवीर
बहर :- 1212 1122 1212 22
करो जो गलती क्षमा मांगना जरूरी है
बिगड़ जो रिश्ते गए जोड़ना जरूरी है।।
सियासतें न करो आपसी में मित्रों तुम
घमण्ड दिल से वहाँ त्यागना जरूरी है।।
हमें है घेरे बड़ी भीड़ अन्धकारों की
मगर वहाँ पे हमें जागना जरूरी है।।
करो नया जो कभी काम कोई हटकर के
भला बुरा वहाँ पे सोचना जरूरी है।।
न वासना से कभी प्यार हो सकता अमर
करो जो प्यार इसे छोड़ना जरूरी है।।
गज़ल या गीत लिखो तो विधान पे कसके
न आता हो तो उसे सीखना जरूरी है।।
सुधार करते रहो देख देख औरों को
समझ न आये वहाँ पूछना जरूरी है।।