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विद्या शंकर विद्यार्थी
निर्गुण
करीं अब कवन हम बहनवा हो
अंगनवा में लोग जुटल बा
चदरिया ओढ़ावता बदनवा हो
जाए के संजोग जुटल बा।
अइसन माया मोह लागल जवन कि अखरता
केहू समझावत बा ना, केकरो के अब  धरता
झरवत बा सबकर नयनवा हो
अंगनवा में लोग जुटल बा।
सासु अब रोवेली आ पराया होके पियवा
माथवा त दिहल जात बा सुते के तकियवा
छुट्टी जाई आपन अब भवनवा हो
अंगनवा में लोग जुटल बा।
नइहरा से भइया अइलन अइली महतारी
रीतिया निभावे खातीर जवन ह दुनियादारी
कहे लोगवा जइहें ई मएनवा हों
अंगनवा में लोग जुटल बा।
सामी के सनेहिया आ सनेहिया के बतिया
अँखियो ना खोलस मैना जाए के बकतिया
पत्थर के बड़ुए ई जहनवा हो
अंगनवा में लोग जुटल बा।

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