– विद्या शंकर विद्यार्थी
गजल
जार के घर खबर लिहल जाला
मार के धर खबर लिहल जाला
आदमी लख गइल चरित बाटे
काट के पर खबर लिहल जाला
घात के चाल से सकल केहू
तूर के कर खबर लिहल जाला
आंख में झांक के निरख लिहलीं
धार में घर खबर लिहल जाला
रोज के जिंदगी चली कइसे
कांच के घर खबर लिहल जाला।
– रामगढ़, झारखण्ड