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हिंदी श्री पब्लिकेशन से प्रकाशित मिर्ज़ापुर के वरिष्ठ साहित्यकार श्री केदारनाथ ‘सविता’ के कविता संग्रह ‘हथौड़ियों की चोट’ का विमोचन अखिल भारतीय साहित्य परिषद, मिर्ज़ापुर के बैनर तले आयोजित काव्य गोष्ठी में-

साहित्य सामाजिक जीवन को नई दिशा देता है- डॉ नीरज त्रिपाठी अखिल भारतीय साहित्य परिषद के तत्वावधान में केदारनाथ सविता के हथौड़ियों की चोट का विमोचन।

साहित्य की आलोचना भी सकारात्मक ही होती है- भोलानाथ कुशवाहा

केदारनाथ ‘सविता’ को मिला ‘भारतेंदु हरिश्चन्द सम्मान’

मिर्ज़ापुर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, मिर्ज़ापुर के तत्वावधान में विजय पुर कोठी स्थित डॉ नीरज त्रिपाठी के आवास पर रविवार को पुस्तक विमोचन और कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ नीरज त्रिपाठी ने कहा कि साहित्य सामाजिक जीवन को नई दिशा देता है और उसकी प्रेरणा से व्यक्ति अपना निर्माण स्वयं कर सकता है। अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार भोलानाथ कुशवाहा ने कहा कि साहित्य का काम ही है जीवन को नई दिशा देना है। अति प्राचीनकाल से वह अपना धर्म निभा रहा है। साहित्य की आलोचना भी सकारात्मक ही होती है। विशिष्ट अतिथि जिला कृषि अधिकारी पवन प्रजापति ने कहा कि हमने हमेशा साहित्य को पढ़ा और उसी से प्रेरणा लेकर अपने को कार्यक्षेत्र में लगाया। क्योंकि साहित्यकार सच का संवाहक होता है। अखिल भारतीय साहित्य परिषद के जिला अध्यक्ष राजपति ओझा ने कहा कि व्यक्ति के निर्माण में साहित्य का एक बड़ा योगदान रहा है। इसलिए यहाँ पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद के बैनर तले भविष्य में कार्यक्रम होते रहेंगे।
इस दौरान जनपद के वरिष्ठ कवि केदार नाथ सविता के सद्यः प्रकाशित काव्य संग्रह “हथौड़ियों की चोट” का विमोचन किया गया। और उस पर विस्तार से चर्चा भी हुई। इस अवसर पर केदारनाथ सविता को भारतेंदु हरिश्चन्द सम्मान से नवाजा गया। कार्यक्रम का संचालन जाने माने नवगीतकार शुभम श्रीवास्तव ओम ने किया।

कार्यक्रम के दूसरे चरण में काव्यगोष्ठी हुई जिसमें डॉ नीरज त्रिपाठी ने सुनाया- एक अजीब सी खामोशी और बेचैनी है आज मेरे शहर में। लगता है कुछ गलत है आज मेरे शहर में। भोलानाथ कुशवाहा ने सुनाया- हर घर में है/ कमजोर आदमी/ कोई सुनता नहीं उसकी/ कोई पूछता नहीं उसका हाल चाल। केदारनाथ सविता ने पढ़ा- अंधेरी रात में जब तुमने दीप जलाया होगा। तुम्हें जरूर कोई याद आया होगा। शुभम श्रीवास्तव ने सुनाया- बस्ती खड़े हैं घेरकर हथियारबंद लोग।
आओ दुआ करें कि ये बस्ती बनी रहे। हरिभूषण शुक्ल ने सुनाया जिंदगी चार दिन की धरा पर मिली। प्यार सबको लुटाते चले जाइये। आनंद अमित ने सुनाया- सब लिबास बन्द बॉक्स में पड़े रहे। ओढ़ के क़फ़न “अमित” मसान में गया। कार्यक्रम में महेंद्र शुक्ला और दिनेश शुक्ला की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही। अंत में धन्यवाद आनंद अमित ने प्रकट किया।

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