– सिद्धेश्वर
शायरी
प्यासा सावन
बहुत मेहरबां है
सावन तुम पर !
तेरा आंगन भींगा
मेरा मन प्यासा है !!
अश्कों का दरिया
मेरे अश्कों के दरिया में
तैर रहा प्यार का नाव !
जालिम सावन कुरेद रहा
सुखे हुए जख्म का घाव !!
दूर न जाओ
मुझसे दूर न जाओ मीत मेरे
सावन को आने दो !
ढालना है तुम्हें, शब्दों में
जरा गीत -गजल गाने दो !!
कितना जालिम है सावन
कितना जालिम है , यह सावन प्यारे !
इश्क -ए -अश्कों को,दरिया बनाता है !!
महलों पर जा टपकता है,मोती की तरह !
झोपड़ी को तबाही का निशाना बनाता है !!
सावन से दोस्ती
भींगना है अगर , तो सावन से कर लो दोस्ती !
सूखे फूल की तरह मुरझाना अच्छा नहीं !
गीत बनकर, पवन से, कर लो दो-चार बातें,
ख़ामोशी में, भीतर से टूट जाना अच्छा नहीं !!
सावन का आगमन
बादल का गर्जन, धड़कन तो नहीं ?
पवन का शोर, तड़पन तो नहीं ?
बारिश की बूंदे, भिंगा जाती तुम्हारी यादें !
सावन का आगमन, दर्पण तो नहीं…!?
सावन का मौसम
भींगने के लिए बड़ा अच्छा,
मौसम है सावन !
खिलने के लिए, बड़ा अच्छा
फूलों का प्रांगण !!
रुखसत ना करो, प्यार की
ख्वाहिश है मेरी !
आलिंगन के लिए, बड़ा अच्छा
मन का आंगन !!
सावन की तरह
वे बरसते रहे, सावन की तरह !
मैं तरसती रही,बन मौसमी घटा !!
दिल का सांकल खटखटाता रहा,
और खोजती रही मैं उनका पता !!
कितना जालिम है सावन
कितना जालिम है , यह सावन प्यारे !
इश्क -ए -अश्कों को,दरिया बनाता है !!
महलों पर जा टपकता है,मोती की तरह !
झोपड़ी को तबाही का निशाना बनाता है !!
– “सिद्धेश् सदन” अवसर प्रकाशन, (किड्स कार्मल स्कूल के बाएं) /पोस्ट :बीएससी, द्वारिकापुरी रोड नंबर:०2 हनुमाननगर ,कंकड़बाग ,पटना 800026 (बिहार )मोबाइल :92347 60365 ईमेल:[email protected]