–अरुण निशंक
शायरी
सांसों में बसी हो तुम
तेरी सांसों में बस जाएँगे
पलकें बंद करोगी तो तुम्हारे खाव्बों में आ जाएँगे
मेरे लफ्जों के गीत हर जन्म में
प्रिये तुम्हें बुलाएँगे
तुम्हें रूह से चाहा है हमने
तुमको न भूल पाएँगे
मेरे दिल के चमन की गुलाब हो तुम
प्यार की खुशबू से दुनिया को महकाएंगे
क्या होती है प्यार के रिश्तों की कसक
ये दुनिया को बतलाएँगे
खून का नहीं, जिस्म का नहीं रूह का रिश्ता है तुमसे
इस रिश्ते को हम जन्म – जन्म निभाएँगे ।