पटना के सदाकत आश्रम स्थित श्री ब्रजकिशोर स्मारक प्रतिष्ठान में, प्रतिष्ठान द्वारा प्रकाशित एक महत्वपूर्ण काव्य संग्रह ‘बिहार की कविताएँ’ का लोकार्पण करते हुए,सुपरिचित नवगीतकार और बिहार सरकार की हिन्दी प्रगति समिति के अध्यक्ष श्री सत्यनारायण ने कहा कि – ” कोरोना काल में भी बिहार के साहित्य को जीवित रखने का यह सार्थक प्रयास है। संकलन में शामिल कविताएं बिहार के कवियों कीअमित पहचान बनेगी !”
मौके पर, इस ऐतिहासिक काव्य कृति के संपादक भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि -” बिहार के इस प्रतिष्ठान के द्वारा, इस तरह की कालजयी पुस्तक के माध्यम से, बिहार की गौरवशाली परंपरा को स्थापित करने का सार्थक प्रयास होता रहा है l मंच पर पठित गंभीर कविताओं को, पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने की ऐतिहासिक पहल है l ऐसे प्रकाशन का उद्देश्य है कि मंचीय कविताएं दूर-दूर के प्रांतों तक पहुंचे l ”
मंच पर पठित गंभीर कविताओं को पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने की ऐतिहासिक पहल !”: भगवती प्रसाद द्विवेदी
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सिद्धेश्वर की कलाकृति आमजन की भावनाओं को
अभिव्यक्त करने की पूरी क्षमता रखती है!:’भावना शेखर
प्रतिष्ठान के अध्यक्ष विनोद कुमार रंजन ने कहा कि-” बिहार में न तो श्रेष्ठ कवियों की कमी है और न ही उत्कृष्ट रचनाओं की ! जरूरत है उनकी प्रतिभा को पहचान देने की! परख और मूल्यांकन की! यह काव्य कृति “बिहार की कविताएं ” इसी उद्देश्य से हमने प्रकाशित किया है, और यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा l ”
कवि- चित्रकार सिद्धेश्वर द्वारा बनाई गई इस पुस्तक की आवरण कलाकृति सर्वाधिक चर्चा के केंद्र में रही l इस संदर्भ में प्रतिष्ठित लेखिका भावना शेखर ने कहा कि – ” इस पुस्तक के आमुख में प्रकाशित सिद्धेश्वर की कलाकृति आमजन की भावनाओं को अभिव्यक्त करने की पूरी क्षमता रखती है l ” कमला प्रसाद ने कहा कि -” ,यह काव्य कृति और कलाकृति, दोनों बिहार के विरासत की पहचान बन कर उभरेगी l” इनके अतिरिक्त पुस्तक के प्रधान संपादक विपिन बिहारी मंडल, शिवदयाल, अर्चना गौतम मीना, अनिल विभाकर, अरुण शाद्वल, सिद्धेश्वर, डॉ निखिलेश्वर प्रसाद वर्मा, श्रुति सिन्हा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए !
एक स्वस्थ्य साहित्यिक माहौल के दूसरे सत्र में, इस काव्य पुस्तक में शामिल एक दर्जन से अधिक कवियों ने काव्य पाठ किया, जिसका सशक्त संचालन किया भगवती प्रसाद द्विवेदी ने ! आराधना प्रसाद ने-” पत्थर को पिघलने में अभी वक्त लगेगा!, अंदाज बदलने में अभी वक्त लगेगा !”/ सत्यनारायण ने -” सुनी आंखों से कुछ मांगे, घर में बैठे बहन कुंवारी, किसको क्या दूं नए साल पर?”/ शिवदयाल ने -” देवता बसते हैं सबसे उलटी दिशा में, सबसे प्रकाशमान दिशा में बसती है सबसे अंधेरी दुनिया !”/ भगवती प्रसाद द्विवेदी ने -” कहां है वे लोग, वे बातें, उजालों से भरी!, जख्म पर छिड़के नमक, क्या खूब है बाजीगरी!”/अरुण शाद्वल ने -” वह उंगली ही है, जो लिख देती है इबारत, विकास या विनाश की!”/ सिद्धेश्वर ने-” जब जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है दोस्त !,वादा अगर किया है निभा देना चाहिए !”/ डॉ निखिलेश्वर प्रसाद वर्मा ने-” शोरगुल और धमाचौकड़ी मचाने वाले बच्चे, गुब्बारों और खिलौनों से चहकते नहीं !”
विजय प्रकाश ने-” फूलों की पंखुड़ी पर, शबनम की इबारत को, तुम ठीक ठीक पढ़ लो तो, बात समझ जाओ !”/ भावना शेखर ने -” सच ठगा सा, दुबक जाता, वक्त के पायताने, सर चढ़कर नहीं बोलता आजकल ! ?अर्चना गौतम मीरा ने-” मत करो अपनी, आलोचना की कैंचियों -उस्तरों से मेरा, मेरे सृजन का, अस्तित्व का, शव परीक्षण!” जैसी सारगर्भित समकालीन कविताओं ने इस शाश्वत साहित्यिक समारोह को यादगार बना दिया l इन कवियों के अतिरिक्त स्वयंप्रभा झा, मुकेश प्रत्यूष, अनिल विभाकर, श्रुति सिन्हा , महामाया विनोद, रामरक्षा मिश्र, कमला प्रसाद, डॉ प्रणव पराग, प्रभात कुमार धवन ने भी समकालीन कविताओं का पाठ किया l आगत अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन किया ब्रजकिशोर प्रतिष्ठान के अध्यक्ष विनोद कुमार रंजन ने !
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प्रस्तुति : [] भगवती प्रसाद द्विवेदी/ सिद्धेश्वर (मोबाइल : 9234760365 ]