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– सुरेश चौहान

सरोगेसी चिकित्सा विज्ञान का उन दम्पतियों के लिए अद्भुत वरदान है जो संतान की इच्छा होते हुए भी संतान पैदा करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। ऐसे में यह दम्पति किराए पर कोख लेते हैं। किराए पर कोख देने वाली महिला को सरोगेट मदर कहा जाता है। संतान चाहने वाले दम्पति के शुक्राणु और

अंडाणु लेकर लैब में मेडिकल प्रोसेस से भ्रूण तैयार करके उसे सरोगेट मदर की कोख में स्थापित किया जाता है और बच्चे के पैदा होने के बाद कानूनी कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार उसे बॉयलॉजिकल माता-पिता को सौंप दिया जाता है।

समय के साथ-साथ विदेशों की तरह हमारे देश में भी कमर्शियल सरोगेसी धीरे-धीरे अपने पैर पसारने लगी है।

फिल्मी हीरोइनें जो अपनी शारीरिक सौन्दर्य के प्रति अधिक सचेत रहती हैं, वह सरोगेसी से बच्चे पैदा करने के लिए आकर्षित हो रही हैं। अभी हाल ही में शिल्पा शेट्टी – राज कुन्दरा और प्रियंका चौपड़ा – निक जोनस, सरोगेसी से बेटियों के पैरेंट्स बने हैं। समाज में कमर्शियल सरोगेसी भविष्य में शोषण का रूप ले सकती है अत: इसे रोकने के लिए सरकार ने 25 दिसम्बर 2021 को संसद में सरोगेसी रेग्युलेशन, बिल को पास किया था, जिस पर 25 जनवरी 2022 को माननीय राष्टपति जी ने इस एक्ट पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी । इस कानून के मुताबिक अब सिर्फ परोपकार के लिए ही सरोगेसी की इजाजत है। संतान चाहने वाले दंपति को सरोगेट मदर का 36 महीने के इंश्योरेंस करवाने के साथ रजिस्टर्ड क्लिनिक में जाना होगा और उसका पूरा मेडिकल खर्च उठाना होगा। इसके अतिरिक्त सरोगेट मदर को कोई भुगतान नहीं करना होगा। इससे सीधे-सीधे सरोगेसी के बदले पैसे के लेन-देन पर पाबंदी लग गई है। नियमों का उल्लंघन होने पर 10 साल की कैद और 10 लाख रूपये का

जुर्माना देने की सजा का प्रावधान है।

इस नियम के मुताबिक जो दम्पति सरोगेसी से बच्चा चाहते हैं उनकी पहले कोई सामान्य संतान नहीं होनी चाहिए। दम्पति में पुरूष की उम्र 26 से 55 साल के बीच होनी चाहिए और महिला की उम्र 23 से 50 साल के बीच होनी चाहिए। होमो सेक्शुअल, लिव-इन रिलेशन और तलाकशुदा लोगों को सरोगेसी की इजाजत नहीं है। दम्पति का पहले से कोई गोद लिया हुआ बच्चा भी नहीं होना चाहिए।

दूसरी ओर सरोगेट मदर वही बन सकती है, जो पहले से शादी-शुदा हो, मेडिकल रूप से तंदरूस्त हो, उसके बच्चे भी हों, किसी तरह का नशा न करती हो और करीबी रिश्तेदार हो और इसके अतिरिक्त कोई भी महिला सिर्फ एक बार ही सरोगेट मदर बन सकती है।

चूंकि कानूनी रूप से लिंग जांच अवैध है लेकिन सरोगेसी में भ्रूण, मेडिकल प्रोसेस के तहत लैब में तैयार किया जाता है, जिससे दम्पति मनचाही संतान पैदा करता है और उसे पहले से ही पता होता है कि उसकी

संतान लड़का है या लड़की। सरोगेसी के नियमों में सरकार ने इस बारे में कानूनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है और न ही इसे रोकने के लिए कोई प्रावधान रखा है।

नोट :  भविष्य में सरकार अपने नियमों में फेर बदल कर सकती है। अखबार में छपी खबर के अनुसार ।

 

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